कैसे मनाए शनि जयंती - २५ मई २०१७.


क्या है शनि का महत्व


Saturn as seen by NASA's Cassini spacecraft


शनि ग्रह से सभी भयभीत  तथा शनि ग्रह के दृष्टि से सभी आतंकित रहते है.  शनि ग्रह के प्रति लोगों में भय की भावना बनी रहती है.

पर क्या ये सही है ?

नहीं, शनि ग्रह को  ज्योतिष शास्त्रीय द्दृष्टि से देखे तो शनि की भूमिका सिर्फ एक न्यायाधीश की है.  जैसे आपके कर्म होंगे शनि वैसा ही फल देता है। 

शनि की गुरुत्वकर्षण शक्ति पृथ्वी से ९५% ज्यादा होती है,  इसी गुरुत्व बल के कारण हमारे अच्छे और बूरे विचार चुंबकीय शक्ति से शनि के पास पंहुचते हैं जिनका कृत्य अनुसार परिणाम भी जल्द मिलता है - 

अगर आपके कर्म अच्छे होंगे तो शनि अवश्य ही आपको अच्छे फल देंगे, आपके कर्मो के अनुसार ही शनि ग्रह की दशा, महादशा आपको फल देगी।

शनि, मकर और कुंभ राशी के स्वामी है और एक राशी में तीस दिन रहते है।   फलित ज्योतिष मैं शनि को अशुभ ग्रह माना  जाता है क्योंकि एक साथ पांच भावोंको (१,३,५,७,९) प्रभावित करते है। इसीलिए शनि के उपाय करना बेहद जरूरी है।  

शनि जयंती को करे शनि देव को प्रसन्न

ज्येष्ठ मास की अमावस्या को शनि जयंती की रूप में मनाया जाता है, २५ मई १०१७ को शनि जयंती के अवसर पर शनि देव की आराधना कर हर कष्ट को मिटाए। 

इस दिन शनि देव की उपासना और आराधना करने से शनि के प्रकोप से बचा जा सकता है।  शनि का प्रकोप झेल रही राशियों के जातक जरूर इस दिन शनि देव की उपासना करे। 

२०१७ में कब करे शनि पुजा और आराधना 

शनि जयंती तिथि - 25 मई 2017

अमावस्या तिथि आरंभ - 05:07 बजे (25 मई 2017)
अमावस्या तिथि समाप्त - 01:14 बजे (26 मई 2017)

कैसे करे शनि देव की पुजा



प्रात:काल उठकर शौचादि से निवृत होकर स्नानादि से शुद्ध हों।

फिर लकड़ी के एक पाट पर काला वस्त्र बिछाकर उस पर शनिदेव की प्रतिमा या तस्वीर या फिर एक सुपारी रखकर उसके दोनों और शुद्ध घी व तेल का दीपक जलाकर धूप जलाएं।

शनिदेवता के इस प्रतीक स्वरूप को पंचगव्य, पंचामृत, इत्र आदि से स्नान करवायें। इसके बाद अबीर, गुलाल, सिंदूर, कुमकुम व काजल लगाकर नीले या काले फूल अर्पित करें।

तत्पश्चात इमरती व तेल में तली वस्तुओं का नैवेद्य अपर्ण करें। इसके बाद श्री फल सहित अन्य फल भी अर्पित करें।

पंचोपचार पूजन के बाद शनि मंत्र का कम से कम एक माला जप भी करना चाहिये।

  1. वैदिक शनि मंत्र: ऊँ शन्नोदेवीर- भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः। 
  2. पौराणिक शनि मंत्र: ऊँ ह्रिं नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छाया मार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।। 
  3. तांत्रिक शनि मंत्र: ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः। 
  4. ॐ शम शनैश्चराय नम:।
  5. माला जपने के पश्चात शनि चालीसा का पाठ करें व तत्पश्चात शनि महाराज की आरती भी उतारनी चाहिये।
किसीभी एक मंत्र का जाप करे। 


शनि जयंती पर करे ये उपाय 




 तेल शनिदेव को बहुत प्रिय है। शनि जयंती पर शनि प्रतिमा पर सरसों का तेल चढ़ाएं और दीपक भी लगाएं। ये उपाय प्रत्येक शनिवार को भी कर सकते हैं।
काली चीज़ें व लोहा शनि की धातु है। शनि जयंती पर एक काले कपड़ें में काले उड़द, सवा किलो अनाज, कोयला व लोहे की कील लपेटकर नदी में बहा दें।
शनि जयंती पर किसी शनि मंदिर में या एकांत स्थान पर बैठकर राजा दशरथ द्वारा रचित शनि स्त्रोत का पाठ करें। इससे शनिदेव प्रसन्न होते हैं।
शनि जयंती की सुबह पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और तिल के तेल का दीपक लगाएं। इससे शनि दोष के प्रभाव में कमी आती है।


शनि जयंती पर कुष्ठ रोगियों को भोजन कराएं व उन्हें जूते-चप्पल, कम्बल, तेल, काला छाता, कपड़ें, काले उड़द आदि का दान करें।


शनि जयंती पर शनिदेव का तिल के तेल से अभिषेक करें। तेल में काले तिल भी डालें। साथ ही शनिदेव के 108 नामों का भी स्मरण अवश्य करें।


शनि की कथा 




अंत में हनुमान चालीसा का पाठ जरूर करे 






सभी को शनि जयंती की हार्दिक शुभ कामनाए। 

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