हाँ बापू, आपने तो वो ही जिंदगी जी है जिसमे आपने विश्वास किया, सत्य और अहिंसा आपके जीवन के स्तम्भ बने रहे. आपके जानेके बाद प्रमाणिकता के मापदंड ही बदल गए है क्या करे? जिस सत्य और अहिंसा के लिए आपने अपनी पूरी जिंदगी संघर्ष किया, आज उनके नाम मात्र सुननेको मिलते है. जिस चरखे से आपने हिंदुस्तानवासियों को स्वावलंबन और सत्याग्रह सिखाया आज वो ब्रांड के चक्करों में पड़ा है क्या करे? बापू क्या आपने कभी सोचा था की आपका चरखा कभी ब्रांड भी बन सकता है ? उससे चुनाव जीत जा सकता है? जिस बापू ने सत्य और अहिंसा जैसे "values " दिए उसे कभी अपने ही भारत देश में लोग devaluation के लिए जिम्मेदार ठहराएं। इनके values कहा गए पता नहीं बापू ! आपने जो जिंदगी जी है वैसी जिंदगी जीने की ये लोग कल्पना भी नहीं कर सकते। कितनी विडम्बना है जिस बुद्ध ने पूरी जिंदगी मूर्तिपूजा का विरोध किया आज उसकी मुर्तिया बाजार में बेचीं जाती है, जिस बापू ने हमेशा values के लिए लड़ाई लड़ी, सत्य के आग्रह के लिए सत्याग्रह किया, आज उसे ही devaluation के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता हैं। किसका dev
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